तुम्हारे प्रेम में मोहन अंग-अंग महक उठा तुम्हारी लीला से मोहन सारा ब्रह्मांड खिल उठा बंसी बजाई जो तुमने रैन-बसेरा जाग उठा साँझ अभी हुई ही थी कि इन थिरकनों से शोर मच उठा देखो वो आया कन्हैया यमुना तीरे गोपियों के दिल में रासलीला का अरमान जाग उठा मोर पंख सजाए जो आया उसेContinue reading “महक”
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