मैं भी नहीं सोई
उस रात से अब तक
जबसे भीड़ में घूमकर आई
समझ नहीं आ रहा कुछ भी
उस रात के अंधेरे ने
मुझे सवालों में भिगो दिया
कि मैं घूमकर आई हूँ
या गुम होकर
चाहती तो मैं बस यही थी
कि यूँ हर मोड़ पर
तुम्हारा हाथ थामकर चलना
लेकिन जैसे ही उँगली थामें
उस बच्ची को देखा
तब पता चला…
जिसकी उँगली उसने थामी
वो कभी नहीं देगी धोखा
लेकिन जिसका हाथ
मैंने थामा हुआ था
शायद एक दिन वो ले
मुझसे अपना हाथ छुड़ा
क्या कहने हैं इन रिश्तों के भी
कुछ दिखावे के हैं
तो कुछ दिल बहलाने के लिए
आख़िर ये रिश्ते होते क्या हैं
जिन्हें हम शुरू तो कर देते हैं
लेकिन वो हमें ख़त्म ऐसे ख़त्म करते हैं
कि उलझाकर ही रख दिया करते हैं
और हम भी गाँठों को
सिमेटते ही रह जाते हैं
शायद इसीलिए
कुछ रिश्ते डोर पर निर्भर हैं
तो कुछ रिश्ते सीधी लकीर पर।।
यूँही खून-पसीना सुबह-शाम बहा दिया
थक-हारकर आए झोपड़ी में
तो भी हमारे ही निवाले का ख़याल किया
पता नहीं कैसे एक मामूली इन्सान
पिता जैसी उपाधि पाकर
ईश्वर की तरह ख्वाहिश पूरी करने लगा।।
Awesome 👍
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Thank you
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Beautiful
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Thank you
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Amazing 👏❤😍
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Thanks
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Nice post
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Thank you
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If you writer then I welcome in my blog to write content.
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I’m not professional writer. But I wanna be.
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👍
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Awesome
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Thanks
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True…. amazing work.
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Thank you so much
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पूजा जी आप मेरे लेखन को बहुत सम्मान दे रही, ये मेरा सौभाग्य है। पर हक़ीक़क्त ये है, आप भी बहुत अच्छा लिखती है। मुझे आदत नहीं लाइक करने की, पर सभी से कुछ सीखता जरुर हूँ। शुभकामनाये मेरी, आपको।
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शुक्रिया सर
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